Client Testimonials

"By far the best legal document drafting expert! I’ve been struggling with a false 498/406 and DV case from last 2 years and so far met 20+ Different lawyers from lower court to high court, but the major difference I see in Sahil is his intentions of making me out of this situation so that I can be a free man. Only a 30 min discussion with Sahil was an eye opener to me. Now I'm feeling more confident that such cases can also be defended and law can be moved from women-centric to men-centric. I have asked Sahil for a ‘bayan’ for my DV case which he, after analyzing 50+ documents, has made it in a lightning speed time of 24 hours. I would also say I was surprised that he didn’t forget to mention even a single nook of any statement that could be in my favor. I would highly recommend anyone for a free 30 min call that can give a new hopeful direction; without losing anything."

"Sahil is one of the best brains to help someone to fight these kinds of cases. His grasping power is awesome to understand your case quickly and provide a solution. Sahil knows very well which point he has to highlight in the draft so people like us get the clarity on our own case and get the best result in the court. His knowledge is admirable as he has a good grip on different IPCs and Cr.P.C from our law system. I worked with him on my 498a petition and feeling quite confident after working with him. I will recommend everyone to talk to Sahil once to get the best result from your case. Now he is my good friend too. Thanks Sahil."

"I got in connect with Sahil sir few months back to seek his guidance for 125 CrPC, DV, and 498A. I must say it's really helpful and Sahil sir had drafted a strong WS for me. It was under the sheer guidance of Sahil sir that I could tackle my mediation in a positive manner."

"I am very thankful to Apaizers Mens Rights in supporting and helping me in my case and saved my lakhs of rupees. Sir also motivates time to time, also advises how to maintain your health first which is NECESSARY in this critical condition. It's clear that no more people from our side help or motivate during this time of false cases. In this time, we require a good or best adviser. Really, Sir IS ALL IN ONE. I repeat that unnumbered thanks to Apaizers Men's Right for the best advice to false cases."

"I got my DV interim maintenance appeal prepared from Apaizers Mens Rights for the session court. It is so nicely drafted and prepared with relevant case reference due to which the session court dismissed the interim maintenance order passed by the lower court. Then in my DV case, the opposite party filed for execution petition for the arrears of the maintenance amount 1.2 lakhs, the objections drafted by Sahil Sir with the relevant facts and case reference got accepted by the court and the court dismissed the OP execution petition."

Stridhan- How to fight false allegation (in Hindi) 406 IPC, 498a IPC, 498a Misuse, 498a Case

Stridhan- How to fight false allegation (in Hindi) 406 IPC, 498a IPC, 498a Misuse,  498a Case

[ Read 498A Quash Judgments]

Stridhan- How to fight  & Win false 406 IPC 498a IPC 498a misuse 498a case
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नमस्कार दोस्तों 


आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग  पर !  यूट्यूब पर मैंने पिछले कई वीडियोस में 498 ए , डॉमेस्टिक वायलेंस सीआरपीसी 125 के झूठे केस से लड़ने के उपाय डिस्कस किए हैं और उस पर आप सब के अच्छे कमेंट भी देखे हैं उम्मीद करता हूं कि आपको यह वीडियो आप  की लड़ाई में काम आ रहे होंगे मुझे कुछ लोगों ने कमेंट किया कि मैं स्त्री धन और 406 आईपीसी पर वीडियो बनाओ ताकि इस आईपीसी सेक्शन लड़ने का तरीका भी पता लग जाए दोस्तों आज का यह ब्लॉग इसी टॉपिक पर है कि स्त्री धन और 406 आईपीसी क्या है और इस पर हमारी क्या स्ट्रेटजी होनी चाहिए  अमानत में खयानत यानी आईपीसी 406 आईपीसी (Criminal Breach of justice) दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर पुलिस 498 ए (दहेज प्रताड़ना कानून) के साथ-साथ धारा-406 (अमानत में खयानत) का भी केस दर्ज करती है। लड़की का स्त्रीधन अगर उसके ससुराल वालों ने अपने पास रख लिया है तो अमानत में खयानत का मामला बनता है।


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[ Read 498A Quash Judgments]

अमानत में खयानत के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही यह मामला भी संज्ञेय और गैर जमानती है।

Stridhan- How to fight false allegation (in Hindi) 406 IPC, 498a IPC, 498a Misuse, 498a Case

धारा 405 आईपीसी (IPC Section 405 in Hindi) - आपराधिक विश्वासघात - जो कोई अपने सुपुर्द सम्पत्ति या सम्पत्ति पर प्रभुत्व होने पर उस सम्पत्ति का बेईमानी से गबन कर लेता है या उसे अपने उपयोग में संपरिवर्तित कर लेता है या जिस प्रकार ऐसा न्यास निर्वहन किया जाना है, उसको विहित करने वाली विधि के किसी निदेश का, या ऐसे न्यास के निर्वहन के बारे में उसके द्वारा किए गये किसी अभिव्यक्त या निहित वैघ अनुबंध का अतिक्रमण करके बेईमानी से उस सम्पत्ति का उपयोग या व्ययन करता है, या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति का ऐसा करना सहन करता है, वह आपराधिक विश्वासघात करता है।


धारा 406 आईपीसी (IPC Section 406 in Hindi) - विश्वास का आपराधिक हनन- यदि कोई व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति को विश्वास / भरोसे पे संपत्ति दी है और उस दूसरे व्यक्ति ने उस संपत्ति का ग़लत इस्तेमाल किया / किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया / पहले व्यक्ति के माँगने पर नही लौटाया, तो वह विश्वास के आपराधिक हनन का दोषी होगा और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा

लागू अपराध- विश्वास का आपराधिक हनन सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

ज्यादातर लोगों के सवाल हैं कि सिर्फ इलज़ाम लगाने से ही 406 आईपीसी सेक्शन लग सकता है और सिर्फ इतना बोलने से कि यह मेरा स्त्री धन है और मुझे वापस नहीं किया गया यह साबित हो जाता है कि कोई दोषी है इन्हीं सब सवालों का जवाब आपको इस ब्लॉग से मिल जाएगा और इसको कैसे डील करना है यह भी समझ आ जाएगा

दोस्तों यह सब समझने के लिए आपको यह ब्लॉग पूरा पड़ना पड़ेगा और अपने सवाल कमेंट बॉक्स में पूछ लीजिएगा ब्लॉग को सब्सक्राइब करले  और इस पर दिए यूट्यूब  लिंक https://www.youtube.com/c/ApaizersMensRights से बाकी 498a से बचने के वीडियोस भी  देख पाएंगे इसीलिए यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब का लाल बटन और साथ ही घंटी का बटन भी दबा दीजिए आप अपाइज़र्स मेंस  राइट का फेसबुक ग्रुप भी ज्वाइन कर ले ताकि आप वहां बाकी विक्टिम से डिस्कस कर सकते हैं अपने केसेस रिलेटेड बातों पर जिसका तो चलिए दोस्तों जानते हैं आज के टॉपिक  स्त्रीधन और 406 आईपीसी के बारे में 
स्त्री धन में  जो धन बोला गया है वह जो एक औरत को उसीकी शादी पर या शादी के बाद कभी भी उसके माता पिता उसके किसी रिश्तेदार उसके ससुराल वालों उसके पति से मिला हो  इसमें कोई भी चीज शामिल हो सकती है जो उसको दिया गया है जैसे कि फर्नीचर कॅश रकम  सोने के जेवर गाड़ी और कुछ भी जो उसको दिया गया है स्त्री धन को वह अपने मर्जी के अनुसार कैसे भी इस्तेमाल कर सकती है उस पर उसका पूरा अधिकार है  वह उसको अपनी मर्जी से बेच सकती है किसी को दे सकती है और हिंदू लॉ  के मुताबिक अगर वह घर छोड़ कर जा रही है तो उस तो वह उसे अपने साथ ले जाने की हकदार है और अगर उसको वह स्त्रिदहन ले जाने से मना किया जाए और उसको बेचा जाए या उसका नुकसान किया जाता है तो धारा 406 आईपीसी ४०५ आईपीसी के तहत जुर्म माना जाता है 
406 एक नॉन बेलेबल धरा है और इसकी जमानत कोर्ट से लेनी होती है और वह 498a केस के साथ ही
मिल जाती है 406 आईपीसी के तहत जुर्म साबित होने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है लेकिन यह तभी हो सकता है जब इसको साबित किया जाए 


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जो भी एलिवेशन लगाए जाते हैं जैसे कि स्त्री दान देने से मना कर दिया उसको बेच दिया या उस को नुकसान पहुंचाया और सबसे ऊपर वह स्त्रीधन है भी कि नहीं उसको साबित करना की पूरी जिम्मेदारी कंप्लेनेंट के ऊपर होती है और इन एलिगेशंस को साबित करने के लिए कोर्ट में क्या-क्या प्रूफ
देने होते हैं मैं आपको बता देता हूं और आप कैसे उन्हें लड़ सकते हो वह भी बता देता हूं 

१.  जो भी स्त्री धन की बात की जा रही है उसके होने का प्रूफ देना होता है सिर्फ लिस्ट देने साबित  नहीं होता कि यह स्त्री धन है पर उस स्त्रीधन के बिल होने जरूरी हैं और साथ में बिल्लो  का सही होना भी जरूरी है सही साबित करने के लिए पक्का बिल होना चाहिए और उसकी सपोर्टिंग में उस दुकानदार की गवाही भी होनी भी वजन रखती है अगर कोई बिल नहीं है और उसका कोई विटनेस भी नहीं है तो उस स्त्री धन का होना साबित नहीं होता और साबित नहीं होता है तो कोर्ट उसे यह कह कर खारिज कर देती है कि बिल ना होने से साबित नहीं होता कि स्त्री धन मौजूद है तो 406 आईपीसी नहीं लग सकती अगर बिल  है तो आप उन बिलों की सच्चाई साबित करने के लिए सेल्स टैक्स एवेजन पिटिशन और आरटीआई के सहारा लेकर उन बिलों का झूठ कोर्ट के सामने रख सकते हो और अगर कैश अमाउंट का जिक्र है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स एवेजन पिटिशन डालकर उसका झूठ कोर्ट के सामने रख सकते हो 

२. अगर बिल नहीं है तो शिकायतकर्ता को लिस्ट पेश करनी होती है जो शादी के टाइम पर दोनों पक्षों ने साइन कर रखी हो जैसा की डौरी प्रोबेशन एक्ट 1985 रूल २ (मेंटेनेंस ऑफ प्रेजेंट टू द ब्राइड एंड ब्राइड ग्रूम) के तहत और लिस्ट नहीं है तो कोई और डॉक्यूमेंट्री एविडेंस जो उस स्त्री धन के होने और उसके हक को साबित करना पड़ता है अगर बिल नहीं है दोनों पक्षों के साइन की हुई लिस्ट भी नहीं है
और कोई डॉक्यूमेंट्री एविडेंस नहीं है तो सिर्फ ओरल एविडेंस से कोर्ट दोषी को क्रिमिनल नहीं प्रिज्यूम कर सकती और इसको साबित करने की पूरी जिम्मेदारी कंप्लेनेंट की होती है और कोर्ट 406 आईपीसी को खारिज कर देता है 

३. कंप्लेनेंट को यह साबित करना होता है कि वह स्त्री धन उसने या उसके परिवार के किसी भी मेंबर ने किस को हैंड ओवर किया उसके स्पेसिफिक डिटेल देनी होती है की किसको  दिए उसकी स्पेसिफिक तारिक और टाइम और क्यों  दिए गए और प्रूफ के तौर पर डॉक्यूमेंट्री एविडेंसेस या ओरल एविडेंसेस जैसे की कंप्लेंट की कॉपी अपनी रिटन स्टेटमेंट और गवाही किसी को जो साबित करें स्त्री धन दिया गया है 

४.  शिकायतकर्ता को यह साबित  करना होता है कि वह स्त्री धन वापिस मांगा गया और उसे वापस नहीं  दिया गया -  इसके लिए सिर्फ बोलना ही नहीं काफी होता है बल्कि स्पेसिफिकली डिटेल देनी होती है की कब वापस मांगा उसका तारिक और टाइम दिया हुआ होना चाहिए शिकायत में और वापस मांगने के गवाह या डॉक्यूमेंट्री एविडेंसेस पेश करने होते हैं 

५. कंप्लेनेंट को यह प्रूफ करना होता है कि उसको स्त्री धन देने से मना किया गया है और या बेईमानी से उसको बेच दिया गया है  लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर यह साबित  होता है कि स्त्रीधन 
है और उसको जान बूझकर नहीं वापस किया गया तो उसके नेगेटिव इंपैक्ट दूसरे पक्ष को पढ़ सकती है  और उसका जवाब कोर्ट को देना होता है तो यह जरूरी है कि अगर मांगा गया स्त्री धन सही में पूर्व होता है तो इसका गलत इंप्लीकेशन भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर कंप्लेंट्स में ालिगेशंस  ही लगे होते हैं और लंबी लंबी स्त्री धन की लिस्ट लगी होती है बिना किसी बिल या कैश मेमो के और ज्यादातर कंप्लेंट स्पेसिफिक डेट टाइम भी नहीं दे रखी होती है कि कब वह स्त्रीधन दिया गया और कब
वापस मांगा गया इसीलिए ज्यादातर कंप्लेंट खारिज कर दी जाती है और ज्यादातर लोग 406 आईपीसी से बरी हो जाते हैं 

अगर बताई गई डीटेल्स में आपको लगता है कि आपके अगेंस्ट कंप्लेंट या केस में कुछ स्पेसिफिक बिल या लिस्ट या डॉक्यूमेंट्री एविडेंसेस नहीं है तो आप पुलिस से और चार्ज शीट जमा होने के बाद हायर कोर्ट से खारिज की अपील भी डाल सकते हो 


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दोस्तों इन बातों से आप समझ गए होगे कि कि स्ट्रेटजी से आपको 406 आईपीसी और कंप्लेंट में स्त्री धन का दिए गए डिटेल से लड़ना है यह ब्लॉग  पसंद आया तो शेयर करिए ब्लॉग  को फॉलो भी करिए फेसबुक अपाइज़र्स मेंस राइट ग्रुप ज्वाइन करिए ताकि आप बाकी विक्टिम से अपने केसों  की  डिटेल  शेयर करके नई चीजें सीख पाए 
शुक्रिया दोस्तों
ओम साईं राम


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